Saturday, July 2, 2016
कभी कभी...
कभी कभी तन्हाई से बातें किया करते है,
तन्हाई में भी सुकून तलाश लिया करते हैं.
दुनिया में फुर्सत किसे है किसीका दर्द सुनाने की,
हम तो अपने सारे गम ऐसे ही बाँट लिया करते हैं.
मिलता नहीं जब कन्धा कोई सर रख के रोने को,
अश्कों की श्याही से कागज रंग दिया करते हैं.
कुछ नाकाम सपने, कुछ हसरतें तो कुछ यादें हैं,
जिन्हे लब्जो में पिरोया करते हैं.
कभी कभी तन्हाई से बातें किया करते है,
भा गया हैं तन्हाई को भी साथ मेरा.
अब तो वो भी पूछा करती हैं हाल मेरा,
शायद वो भी तन्हा हैं बेचारी मेरी तरहां.
रोज कहती हैं कल वापस जरूर आना देने साथ मेरा,
वादा लेती है वापस लौट के आने का.
अब बस यही हैं जो देती हैं हरपल साथ मेरा,
कभी कभी तन्हाई से बातें किया करते है.
कभी कभी तन्हाई से बातें किया करते है,
हम तो अपने सारे गम ऐसे ही बाँट लिया करते हैं.
बसंत कुमार वर्मा
Labels:
Basant,
Basant Kumar Verma,
Basant Kumar Verma Poems,
Kabhi Kabhi,
Khalipan,
Khayal,
Sunapan,
Tnahai
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
o ho kya khoob likhe hai sir g
ReplyDeleteo ho kya khoob likhe hai sir g
ReplyDelete